दहेज प्रथा : एक अभिशाप (निबंध)

“देखो तो, दहेज ने संसार की बदल दी है, सोच। बेटी माँ-बाप के लिए बनी हुई है, बोझ ।।” भारतीय संस्कृति में विवाह को एक आध्यात्मिक कर्म, आत्माओं का मिलन, पवित्र संस्कार और धर्म-समाज का आवश्यक अंग माना गया है। किसी भी देश की सामाजिक कुरीतियाँ उस देश के सामाजिक ढाँचे को कमज़ोर करती हैं। … Read more

विद्यार्थि जीवन निबंध (eassy on student life in hindi)

“भारत के सौभाग्य विधाता, भारत माँ के अधिकारी। भारत विजय क्षेत्र में आओ, प्यारे भारतीय विद्यार्थी।।” एक राष्ट्र की आशा के प्रतीक तथा भावी निर्माता उसके बच्चे तथा किशोर होते हैं। देश के भविष्य का भवन तभी मजबूत बनेगा, जब इसकी नींव गहरी और सुदृढ़ होगी। संसार में सुखमय जीवन वही अतीत कर सकता है, … Read more

Delhi metro story ( दिल्ली मेट्रो) In hindi

“दिल्ली है भारत की आन। मेट्रो है दिल्ली की शान।।” बढ़ती हुई आबादी ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है और उन्हीं समस्याओं में शामिल है-यातायात की समस्या। रेल, कार, स्कूटर तथा ऑटो रिक्शा होते हुए भी किसी भी बड़े शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने में कुछ घंटे लगना सामान्य सी … Read more

भारत की बढ़ती जनसंख्या

भूमिका introduction- भारतीय संस्कृति में पितृ ऋण से उऋण होने के लिए वंश-वृद्धि करना आवश्यक माना गया है l पुत्र प्राप्ति मानव की बलवती इच्छा है l प्राचीन काल में संतान की प्राप्ति को ईश्वर की इच्छा माना जाता था। इससे परिवार में अधिक सदस्य हो जाते थे, जिसे सुखदायक माना जाता था तथा काम … Read more

Unemployment problem in India (भारत में बेरोज़गारी की समस्या ) essay in hindi

भूमिका introduction- आधुनिक युग में संघर्ष बढ़े हैं और सुख के साधन होने पर भी उनकी प्राप्ति अति दुष्कर और कष्ट-साध्य ही नहीं, अपितु असंभव-सी भी हो गई है। जीवन की प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं-भोजन, वस्त्र तथा आवास। इनकी पूर्ति होने पर ही जीवन सुचारु रूप से चलता है। इनके अभाव में समस्याओं के तूफान उमड़ते-घुमड़ते … Read more

Corruption essay in hindi (भ्रष्टाचार का व्यापक रोग)

भूमिका – जब-जब टीवी खोला, भ्रष्टाचार का हाल देखा। समाचार की सुर्खियों में, नेताओं का ही कमाल देखा।।“ समाज राष्ट्रीय विकास की आधारशिला है। मनुष्य समाज में रहकर जीवनयापन करते हुए अनेक प्रकार के क्रियाकलापों से निजी एवं राष्ट्रीय विकास करता है। जिस समाज में स्वच्छ सतवृत्तियाँ पनपती हैं, वह समाज भला समाज कहलाता है। … Read more

मेरे जीवन का लक्ष्य

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।” बिना उ‌द्देश्य के जीवन निरर्थक होता है। इसके अभाव में यह एक ऐसी नाव की तरह होता है, जिसका कोई नाविक नहीं होता और वह पानी के थपेड़े खाती हुई इधर-उधर घूमती रहती है। ऐसी नाव या तो भँवर में डूब जाती है या चट्टान से … Read more

आतंकवाद पर निबंध आतंकवाद : किसी समस्या का हल नहीं

आतंकवाद पर निबंध आतंकवाद : किसी समस्या का हल नहीं “देख रहा मानव तू स्वयं, निज विनाश अपनी आँखों से। फिर भी बचा न पाया खुद को, आतंकवाद के हाथों से।।“ – भूमिका कहने को तो आज सारे विश्व के सामने आतंकवाद की समस्या मुंह बाए, जीभ लपलपाती हुई खड़ी है, पर इसमें तनिक भी … Read more

दया और अहिंसा के प्रतीक: भगवान महावीर स्वामी

भूमिका- भारतवर्ष की भूमि धर्मावतारों की धरा मानी गई है। भगवान राम, योगीराज कृष्ण, अहिंसा के अवतार महात्मा बुद्ध आदि इसी धरा पर अवतरित हुए थे, जिन्होंने सत्य, अहिंसा तथा प्रेम की सरिता बहाई थी। जिन मारुषों के कारण भारत जगतगुरु कहलाया, उन्हीं महापुरुषों में वर्धमान महावीर स्वामी का नाम उल्लेखनीय है। “चल पड़े जिधर … Read more

Ramdhari Singh Dinkar poem (मस्तक नहीं झुकाएँगे)

(रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने यह कविता भारत के वीर सपूतों को संबोधित करके लिखी है। कवि ने युवा पीढ़ी का गुणगान करते हुए बताया है कि आज का नवयुवक गुणों में अपने पूर्वजों से किसी भी भाँति कम नहीं है। वह अपने देश की प्रगति के लिए मर-मिटने को तैयार है।) हम प्रभात की नई … Read more