Health and exercise स्वास्थ्य और व्यायाम essay in hindi

भूमिका (introduction)-

Health and exercise स्वास्थ्य और व्यायाम essay in hindi

महर्षि चरक के अनुसार “धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है।” सत्य भी है कि मनुष्य जीवन की सफलता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने में ही निहित है। कालिदास जी ने भी यही कहा है, “शरीर माद्यं खलु धर्म साधनं” अर्थात् सर्वप्रथम शरीर की ही सुरक्षा करनी चाहिए। मनुष्य को शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना पड़ता है। इससे शक्ति का क्षय होता है और इसकी पूर्ति होने पर ही पुनः क्रियाशील होना संभव होता है। शरीर की तुलना इंजन से भी की जा सकती है, जो उसी स्थिति में क्रियान्वित होता है, जब उसे ऊर्जा प्राप्त होती है। केवल पोषक तत्व खाने पर ही शरीर स्वस्थ और बलशाली नहीं होता है, अपितु इसके लिए अन्य साधन भी अपनाने पड़ते हैं। इन्हीं साधनों में व्यायाम एक प्रमुख और अनिवार्य साधन है। Health and exercise स्वास्थ्य और व्यायाम essay in hindi

व्यायाम का अर्थ (Meaning of exercise)

‘व्यायाम’ शब्द का अर्थ है-‘कसरत।’ भौतिकवाद के युग में मनुष्य ने अपनी जरूरतों को बढ़ा लिया है। इन्हें पूरा करते-करते सुबह से शाम और शाम से सुबह हो जाती है। इस भाग-दौड़ में शरीर कैसे स्वस्थ रह सकता है? तन स्वस्थ हो, तो मन स्वयं स्वस्थ रहता है। अगर तन-मन स्वस्थ न हों, तो जीवन में रस नहीं रहता। ऐसा जीवन व्यर्थ का बोझ बन जाता है। जो व्यक्ति अपने शरीर की उपेक्षा करता है, वह अपने लिए बीमारियों के दरवाजे खोल लेता है। बीमार रहने वाला मनुष्य न तो कोई शारीरिक श्रम कर सकता है, न ही मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। इसलिए सभी को व्यायाम के लिए थोड़ा-सा समय अवश्य निकालना चाहिए।

व्यायाम के रूप

व्यायाम का कोई एक विशेष रूप नहीं होता, अपितु शरीर के अनुसार ही इसे करना उचित होता है। इसमें आयु का विशेष ध्यान रखा जाता है। बच्चों के लिए रस्सी कूदना, खेल खेलना योगासन करना आदि इसके विभिन्न रूप है। जिमनास्टिक, तैराकी जैसे खेल भी इसके अन्य रूप है। बच्चों के शरीर की अस्थि और मांसपेशियाँ अधिक लचकदार होती है। अत: से सहजता से मुड़ सकती है। खिलाड़ियों को भी इसकी आवश्यकता होती है, ताकि वे अपने शरीर का संतुलन बनाये रख सके।
व्यायाम पुरुषों के लिए ही नहीं, अपितु स्त्रियों के लिए भी विशेष उपयोगी होता है। घर के काम करने को व्यायाम नहीं कहा जा सकता। प्रात:काल का भ्रमण सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है।

व्यायाम की उचित विधि (proper ways of exercise)

व्यायाम करने से पहले तथा बाद में विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसका सही समय सुबह और सायंकाल है। न ही कुछ खा-पीकर व्यायाम करना चाहिए और न ही व्यायाम करने के तुरंत बाद नहाना चाहिए। व्यायाम करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक अंग पर एक जैसा दबाव पड़े और सभी अंगों का व्यायाम हो। शरीर के कुछ अंगों पर जोर पड़ने से वे पुष्ट हो जाते हैं, लेकिन अन्य अंग दुर्बल ही बने रहते हैं। इस तरह शरीर बेडौल नजर आता है। जब साँस फूलने लगे, तो तुरंत व्यायाम बंद कर देना चाहिए और विश्राम करना चाहिए। इससे फेफड़ों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। व्यायाम करते समय सदैव नाक से श्वास लेना चाहिए, मुँह से नहीं। व्यायाम के लिए सही स्थान वह है, जहाँ शुद्ध वायु और प्रकाश हो और स्थान खुला हुआ हो, क्योंकि फेफड़ों में शुद्ध वायु आने से उनमें शक्ति एवं स्फूर्ति आती है। व्यायाम के तुरंत बाद नहाने से गठिया होने का भय रहता है। व्यायाम के बाद थोड़ी तेल मालिश करनी चाहिए, इससे शरीर की थकान दूर होती है। शरीर का पसीना सूख जाने पर ही स्नान करना चाहिए। इसके बाद दूध आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन आवश्यक है। बिना पौष्टिक पदार्थों के ज्यादा फायदा नहीं होता।

व्यायाम के लाभ ( benefits of exercise and yoga)

“ वीरभोग्या वसुंधरा।” यह एक प्राचीन मान्यता है कि वसुंधरा सदा वीर द्वारा ही भोगी जाती है अर्थात् जिसमें ताकत होती है, समाज उसका प्रभुत्व मानकर उसका अनुगमन करता है। यह ताकत व्यायाम द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। प्राचीन भारत में राजपूतों को विद्याध्ययन के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था, जहाँ ये ऋषियों द्वारा राजनीति तथा समाजनीति के साथ-साथ मल्लविद्या का भी अभ्यास करते थे।

व्यायाम के लाभों को उँगलियों पर गिनना संभव नहीं है। इसके द्वारा शरीर सुगठित होता है। मांसपेशियाँ सुदृढ़ होती हैं। चेहरे पर कांति तथा तेज उत्पन्न होता है। इसके द्वारा रक्त संचार ठीक से होता है, इसलिए शरीर में स्फूर्ति रहती है। व्यायाम करने से शरीर से पसीना आता है तथा विभिन्न प्रकार के अनावश्यक पदार्थ, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं, पसीने के साथ बाहर आ जाते हैं। प्राणायाम जैसे व्यायाम करने से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन गैस फेफड़ों में प्रवेश करती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकल आती है।

व्यायाम करने से मन और मस्तिष्क स्वस्थ तथा संतुलित रहते हैं, बुद्धि क्रियाशील रहती है तथा समस्याओं का समाधान करने में समर्थ होती है। स्नायु का नियंत्रण होने से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है तथा किसी भी प्रकार का मानसिक आघात सहन करने के लिए व्यक्ति तत्पर रहता है। इसे करने से रक्त-संचार नियंत्रित हो जाता है। जो व्यक्ति गहरी नींद सोकर प्रातःकाल जल्दी ही जाग जाता है, उसका स्वभाव हँसमुख बनता है, चिड़चिड़ापन और क्रोध आदि दूर होते हैं तथा कार्य करने की क्षमता पो बढ़ जाती है।

उपसंहार (conclusion )

किसी ने सच ही कहा है, “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।“ जिस समाज के व्यक्ति स्वस्थ होते हैं, वह समाज भी स्वस्थ बनता है। ऐसा समाज ही बुराइयों से लड़ पाता है तथा अन्याय का विरोध कर पाता है। ऐसा समाज ही प्रेम और करुणा का परिचय दे पाता है। कोई भी व्यायाम हो, उसे नियमित और उचित ढंग से करने पर सदैव लाभ होता है। तन-मन की शुद्धता के लिए व्यायाम अत्यावश्यक है तथा विद्यार्थी जीवन में इसका विशेष महत्व है।

“नीरोगता उपचार जो चाहो,
शक्ति का भंडार जो चाहो।
प्रतिदिन करो सभी व्यायाम,
सुखी रहोगे आठों याम।।”



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